भारत के महान और अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान का जन्म वर्ष 1166 में अजमेर में, चौहान वंश में हुआ था। पृथ्वीराज चौहान के पिता के मृत्यु के बाद 11 वर्ष की आयु में उन्होंने अजमेर और दिल्ली का शासन संभालना प्रारंभ किया, और उसने अनेक सीमाएं तक राज्य-विस्तार भी किया था। चलिए Prithviraj Chauhan History in Hindi से संबंधित जानकारी के बारे में बात करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान बाल्यावस्था से ही एक निपुण योद्धा थे, और पृथ्वीराज को राय पिथोरा नाम से भी जाना जाता हैं। पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासन काल में कई युद्ध किए थे, उसी पर आधारित अक्षय कुमार के मूवी पृथ्वीराज, जोकि 10 जून को सीनेमा घरो में रीलिज हुई। जैसा की आपलोग अच्छ से समझ गये होंगे कि आज हम किस विषय में जिक्र करने जा रहे हैं, यदि आप भी पृथ्वीराज चौहान के जीवन या फिर अक्षय कुमार के पृथ्वीराज फ़िल्म के बारे में जानने में दिलचस्प हैं तो आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
Table of contents
Prithviraj Chauhan History in Hindi
नाम | पृथ्वीराज चौहान |
पिता | सोमेश्र्वर |
जन्म तिथि | 11 मार्च 1192 |
जन्म स्थान | पाटण, गुजरात |
वंश | चौहान वंश |
धर्म | दिन्दु |
जाति | जाट, क्षत्रिय |
पेशा | क्षत्रिय |
मृत्यू स्थान | अजमेर, राजस्थान |
मृत्यू तिथि | 1 जून 1163 |
अन्य नाम | पृथ्वीराज तृतीय, राय पिथौरा, भरतेश्वर, हिन्दूसम्राट और सपादलक्षेश्वेर |
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हिंदू क्षत्रिए सम्राट पृप्थीराज चौहान के पिता अजमेर के महाराज सोमेश्र्वर एवं माता कपूरी देवी थे, राय पिथौरा को जन्म से ही मारने के साजिशो का शिकार था परंतु वो बचता गया। आखीर में 1 जून 1163 को अजमेर में इसकी मृत्यु हो गयी।
पृथ्वीराज जयंती किस दिन मनाया जाता हैं
भारत के गौरवान्ति शासक पृथ्वीराज चौहान बहुत ही कम आयु में मृत्यु को प्राप्त हो गये, और आपके जानकारी के लिए बता दें कि पृथ्वीराज जयंती 1 जून से 10 तक मनाई जाती हैं।
पृथ्वीराज चौहान एवं राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी
महाकाव्य “पृथ्वीराज रासो” में पृथ्वीराज चौहान का कहानियों का उल्लेख किया गया हैं इसमे एक ओर अध्याय हैं जिसमे पृथ्वीराज चौहान कन्नोज की राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी का जिक्र किया गया हैं इनका प्रेम कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई।
कहानी की शुरूवात इस प्रकार होती हैं: राजा जयचंद के दरबार में नामी एक चित्रकार आया, वो अपने साथ कई राजाओं एवं रानियों की चित्र लेकर आया था जिनमें से एक तस्वीर पृथ्वीराज चौहान का भी था। संयोगिता चित्र देखते ही अपना दिल हार बैठीं,
उसके बाद जब वह छविकार ने पृथ्वीराज चौहान को संयोगिता का तस्वीर को दिखाया तो उसे भी राजकुमारी संयोगिता से प्रेम हो गया। दोनो को एक दुसरे का तस्वीर देख कर ही प्रेम हुयी।
Prithvi Raj Chauhan Full Movie
इन्ही कहानीयों पर आधारित बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार के ‘पृथ्वीराज’ मूवी रिलीज हो चुकी हैं। इस फिल्म में पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के प्रेम कहानी के अतिरिक्त सम्राट पृथ्वीराज की यशगाथा को दिखाने का प्रयास किया गया हैं।
केवल 13 वर्ष की आयु में पृथ्वीराज चौहान ने गुजरात के शासक भीमदेव को युद्ध में हरा दिया।
पृथ्वीराज चौहान का परिवार
गौरवान्वित सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म वर्ष 1149 में हुआ था, इनके पिता अजमेर का शासक सोमेश्वर तथा माता कपूरी देवी की पुत्र थे।
नाम | पृथ्वीराज चौहान |
दादा | अंगम |
पिता | सोमेश्वर |
माता | कपूरी देवी |
पत्नी | 13 |
भाई | हरिराज |
संतान | गोविंद चौहान (पुत्र) |
पृथ्वीराज चौहान के मित्र
आपके प्रश्न अनुसार पृथ्वीराज चौहान के मित्र कौन थे, तोमर वंश के शासक अनंगपाल की पुत्री के पुत्र चंदबकदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र थे।
आपके जानकारी के लिए बता दें कि पृथ्वीराज चौहान और जयचंद का रिश्ता ससुर दामाद का था। जोकि राजकुमारी संयोगिता के पिता थे।
मुहम्मद गौर और पृथ्वीराज चौहान का प्रथम युद्ध
राय पिथौरा हमेशा अपने राज्य विस्तार को लेकर सजग थे, इसी वजह से राज्य विस्तार के लिए इस बार उन्होंने पंजाब का चयन किया था परंतु उस वक्त पंजाब पर मुहम्मद शाबुद्दीन गौरी का शासन काल था। बिना गौरी से युद्ध किए पंजाब पर अपना अधिकार स्थापित नही कर सकता था। इसी लक्ष्य से पृथ्वीराज ने अपनी विशाल सेना के साथ गौरी पर आक्रमण कर दिया था।
इस युध्द से पृथ्वीराज ने गौरी को परास्त करने में तो सफल हो गए, और हांसी, सरहिंद और सरस्वती पर भी अपना अधिकार कर लिया था, किन्तु इसी दौरान अनहिलवाड़ा में विद्रोह शुरू हो गया और पृथ्वीराज को वहां जाना पड़ा इसी से उसकी सेना ने कमांड खो दी और वह किला जिस पर अधिकार किया था उसे भी खो दिया।
पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी का दूसरा युद्ध
राज जयचंद के खिलाफ उसकी पुत्री राजकुमारी संयोगिता से पृथ्वीराज चौहान ने शादी किया था, तब से जयचंद ने पृथ्वीराज को अपना दुश्मन मान लिया था, उससे बदला लेने के लिए जयचंद ने कई राजपूत राजओ को उसके खिलाफ भड़काने लगा। तभी उसे गौर एवं पृथ्वीराज के बिच हो रहे युद्ध के विषय में पता चला, तभी दोनो ने मिल पृथ्वीराज के खिलाफ पुन: आक्रमण के लिए रणनीति बनायी। 2 वर्ष बाद 1192 में तराई मैदान में पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया।
गौरी की 3 लाख सैनिको नें पृथ्वीराज को चारो ओर से घेर लिया, घेरे से ना निकल पाने के कारण उसकी पराजय हो हुई, उसके बाद पृथ्वीराज चौहान और उसके मित्र चंदबरदाई को बंदी बना कर उनके राज्य ले गया।
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु
दुसरे युद्ध में पराजय हुए पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना कर उनके राज्य ले गया, वहा पृथ्वीराज की आखो को लोहे गर्म सरियो से जलाया गया, इस वजह से उसकी आखो की रोशनी चली गई। पृथ्वीराज को मृत्यु देने से पहले उससे उसका आखरी इच्छा पुछा गया। तो उसने सभा के बिच अपने मित्र चंदबरदाई के शब्दो पर शब्दभेदी वाण का प्रयोग करने की अच्छी बताई, इस तरह उसके मित्र के कहे गए दोहे के द्वारा पृथ्वीराज ने मुहम्मद गौरी की हत्या उसी सभा में कर दी, उसके बाद दोनो ने एक दुसरे की जीवन खत्म कर दी, उसके बाद संयोगिता को इस खबर के विषय में पता चला तो उसने भी उसी वक्त अपना जीवन लीला समाप्त करली, और आज भी दोनो का प्रेम अमर हैं।
FAQ
Ans: चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के राज दरबारी कवि थे, चंदबरदाई ने ही पृथ्वीराज रासो ग्रंथ लिखा था।
Ans: उत्तरी अजमेर और दिल्ली के शासक थे जोकि 1178 – 92 तक राज्यो का दायित्व संभाला।
Ans: कुल 18 युद्ध हुए थे जिसमे 17 युद्ध पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गौर को पराजित किया, और18 युद्ध गौरी विजयी हुई।
Ans: गोविंद चौहान नाम के केवल पुत्र थे, पृथ्वीराज चौहान को बेटी नही थी।
निष्कर्ष
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