दीपावली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi

Essay on Diwali in Hindi – दिवाली हिंदूओं के लिए काफी महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता हैं। दिवाली बुराई पर सच्चाई का जीत के प्रतिक हैं और इस त्यौहार को हिंदू बहोत हि धुम धाम से मनाया जाता हैं। आजके इस लेख में हम दिवाली के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से जानने जा रहे हैं। यदि आप एक स्टूडेंट हैं तो इस लेख में बताए गए जानकारी को पढ़ कर दिवाली पर निबंध भी लिख सकते हैं।

इस लेख में आपको निबंध लिखने के तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा। यदि आप कभी भी दीपावली पर निबंध लिखे होंगे तो दीपावली के बारे में जरूर थोड़ बहोत जानकारी होगा। यदि आप इससे पहले कभी भी निबंध नही लिखे हैं तो चिंता करने का कोई जरूरत नही हैं, आज आप सबको हाथ पड़क कर सीखाया जाएगा कि एक बेहतर दीपावली पर निबंध कैसे लिखे जाते हैं। दीवली पर निबंध के अलावा अन्य जगहों भी इस Information का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Essay on Diwali in Hindi ( Diwali Par Nibandh)

दीवाली पर निबंध लिखने के लिए शिक्षक स्टूडेंट को कहते हैं और ज्यादातर दिपावली पर निबंध लिखने के लिए शिक्षक तो तब कहते हैं जब दिवाली आने वाला हो। शिक्षक इससिए छात्रों से निबंध लिखवाते हैं क्युकि वो चाहते हैं कि दिवाली के बारे में हर छात्रों को जानकारी हो, कि आखिर ये दिपावली क्या हैं और क्यो बनाया जाता हैं। चलिए जानते हैं कि आप दिवाली पर निबंध कैसे लिख सकते हैं-

  • Introduction (प्रस्तावना): भारत में दिपावली का त्यौहार बहुत ही धूम धाम और से मनाते हैं और केवल भारत में ही नही बल्कि जितने भी भारतीय दुनिया के अलग अलग देशों में हैं वो सबभी दीपावली त्यौहार को बहुत धूम धाम से मनाते हैं। वास्तव में दीपावली असत्य पर सत्य की जीत का एक प्रतीक हैं। दिवाली 2 दिन तक हिन्दूयों द्वारा मनाने जाने वाला त्यौहार हैं। इस त्यौहार में भागवान शिव शंकर और माता पारती के पुत्र श्री गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा होती हैं। श्री गणेश और लक्ष्मी माता की पूजा के करने के लिए विवाहित और अविवाहित कन्या दिन भर बिना भोजन ग्रहण किए उपन्यास करती हैं। शाम में भगमान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा करने के बाद भोजन ग्रहण करती हैं।
  • दिवाली का अर्थ: दिवाली शब्द की उत्पत्ति संस्कृति से हुयी हैं जोकि दिवाली में दो शब्द मिले हुए हैं दीप और आवली। दीप जिसका मतलब “दीपा” और आवली इसका मतलब “लाइन/ शृंखला” होती हैं। कुछ लोग इस त्यौहार को दिवाली और दीपावली नाम से जानते है इस शब्द का शुद्ध अर्थ दीपावली होते है। ये दो शब्द दीप (दीपा) तथा आवली (लाइन) से मिल कर बना हैं जिसका मतलब दीपों की लाइन या पंक्ति होता हैं।
  • दिवाली की तैयारी: दिवाली आने से पहले ही लोग दिवाली की तैयारी करना शुरू कर देते हैं। सभी लोग अपने घर की साफ-साफाई व रंगाई-पुताई करना प्रारंभ कर देते हैं। ऐसा माना जाता हैं कि जिस घरों में सफ़ाई हुयी रहती हैं उस घर में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी करती हैं।
  • दिपावली में पटाखो का महत्व: दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता हैं। लोग अपने घर को विभिन्न तरह के आकारों की रौशनी से सजाते हैं और मिट्टी के बने दीप को शाम होने के बाद जलाते हैं। ऐसे जलते हुए दिए को देख कर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता हैं। बच्चों को दिवाली वाले दिन पटाखे और फुलझड़िया जैसे कई तरह के आतिशबाजी पसंद आते हैं। पटाखों से प्रदुषन होता हैं ये बात भी ध्यान रखने योग्य हैं।

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दिवाली का महत्व

दिपावली हिंदूयों द्वारा बहोत ही धुम धाम से मनाई जाती हैं और यह त्यौहार हिंदू धर्म के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान श्री राम जब 14 वर्ष का वनवास पुरा करने के बाद! श्री राम ने रावण को परासत कर सीता जी को वापस आयोध्य लाए थे। इसके उपलक्ष्य में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता हैं। इस ग्रन्थ के अतिरिक्त महाभारत ग्रन्थ में ऐसा माना जाता हैं कि 12 वर्ष पांडवो के वनवास के बाद और 1 वर्ष के अज्ञात के जब पांडवो पुना: वापस आए थे तब दिवाली का त्यौहार मनाया गया था। इन सबके अलावा कुछ ऐसे भी ग्रन्थ हैं जिनमे दिवाली त्यौहार को लेकर भिन्न भिन्न मानना हैं।

दिवाली का आध्यात्मिक महत्त्व

आइए जानते हैं दिवाली क्यो मनाते हैं। ऐसा मना जाता हैं कि दिवाली बुराई पर अच्छाई का जीत का प्रतीक हैं इस त्यौहार को बुराई पर जीत के रूप में लोग त्यौहार मनाते हैं ये जानकारी हमे पौराणिक कहानियों से पता चलता हैं। दिवाली का त्यौहार को सभी वर्ग के लोग धुम धाम से मनाते हैं

और दीपावली आने से पहले ही इस त्यौहार की तैयारीया में लग जाते हैं। यदि कहा जाए तो दिवाली का त्यौहार बुराई पर सच्चाई की जीत से संबंधित हैं इसलिए लोग दिवाली का इस पावन पर्व पर अध्यात्म की ओर अग्रसर होते हैं। प्राचीन काल से ही लोग इस पर्व को मनाते चले आए हैं दीपावली त्यौहार जब आता हैं तो लोग खुशियां तो मनाते ही हैं इसके अलावा इससे अच्छे विचारों का भी उत्थान होता हैं।

दीपावली का समाजिक महत्त्व

इस पावन पर्व को सभी धर्मों के लोग एक साथ मिल जुलकर मनाते हैं। अगर देखा जाए तो भारत में कई धमों के लोग निवास करते हैं लेकिन दीपावली जैसी त्योहार को मिल-जुलकर मनाते हैं एक दूसरे को मिलने उसके घर जाकर बधाइयाँ देते हैं इससे सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा मिलता हैं।

इस भाग दौड़ भरी दुनिया में दिवाली के दिन ऐसा मौका होता हैं कि आप अपने परिवार के साथ सयम बिता सकते हैं और अपने दोस्तो को बधाइयाँ दे सकते हैं। यदि देखा जाये तो इस त्यौहार का अपना एक समाजिक महत्त्व होता हैं जोकि समाजिक सद्भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता हैं।

दिवाली का ऐतिहासिक महत्त्व

यह पर्व एक नही बल्कि कई ऐतिहासिक महत्त्व घटना पर आधारित हैं जिसमे से एक माहाकाव्य रामायण के अनुसार बताया गया हैं कि जब श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके सीता समेत आयोध्या वापस आये थे तब आयोध्यो में दीप जला कर भगवान श्रीराम का स्वगत किये थे।

इसके अलावा दिपावली के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी की जन्म हुआ था। इसी दिन मुग़ल बादशाह अकबर ने अपने दोलत खाने में 40 फिट ऊँचा दीप जलाए थे। इसके अलावा भी महावीर स्वामी जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था।

दिवाली का आर्थिक महत्त्व

धनतेरस के दिन सभी लोग कुछ ना कुछ नया चीज जरूर खरीदते हैं चाहे वो सोने-चाँदी के आभूषन हो या अपने लिए नये कपड़े हो। ऐसा माना जाता हैं कि दीपावली के दिन खरीदारी करने से घर में सुख समृद्धि होती हैं इसलिए त्यौहार के दिन लोग खरीदारी करना पसंद करते हैं और इस कारण बाजार में बहोत भीड़ भी होती हैं,

इससे दुकानदारों को अच्छी मनुफा भी होती हैं। दिवाली के पर्व के दिन किसानो के लिए महत्त्वपूर्ण साबित होता हैं क्योकि किसान गर्मियों की फसल दिवाली से पहले खेल से काटकर बाजार में बेच देते हैं इससे किसान को आमदनी होता हैं और दीपावली के त्यौहार का आर्थिक महत्त्व भी बढ़ जाता हैं।

दिवाली क्यों मनाई जाती हैं

भारतीय त्यौहारों में से सबसे बड़ा दिवाली का त्यौहार हैं। दीपावली मनाने का कारण पौराणिक कथाओं के अनुसार त्यौहार श्रीराम से जुड़ा हुआ हैं। ऐसा माना जाता हैं कि जब श्रीराम वनवास पूरा करने के बाद आयोध्यो लौटे थे

तब आयोध्य के नागरिक श्रीराम के लौटने के खुशी में उस दिन चारो ओर घी के दिए जलाये थे। उसी वर्ष से प्रतेक वर्ष दिवाली का त्यौहार मनाया जाने लगा। ये हो गई रामायण के अनुसार, परंतु अभी भी कुछ ऐसे ग्रंथ हैं जिनमे दिवाली मनाने का अलग-अलग कारण बताया गया हैं।

Diwali Nibandh Par 10 Line

  1. दिवाली दिन्दुओं का विशेष और सबसे बड़ा त्यौहार हैं।
  2. दिवाली के दिन नई चीजें खरीदने से घर में सुख समृद्धि होती हैं।
  3. दीपावली त्यौहार को बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाते हैं।
  4. कार्तिक पूर्णिमा के महिना में मनाई जाने वाला त्यौहार हैं।
  5. दिवाली के दिन लोग एक दुसरे का घर जाकर उसे उपहार और बधाइयां देते हैं।
  6. दिवाली के दिन लक्ष्मी जी और श्री गणेश की पूजा की जाती हैं
  7. त्यौहार के दिन बच्चे पटाखे जला कर खुशियां मनाते हैं।
  8. दिवाली के दिन घर में रंग बिरंगी लाइटों से सजाते हैं।
  9. दिवाली पर्व धनतेर, नरक चतुदर्शी, दिवाली,भैया दूज और गोवर्धन पूजा का समूह माना जाता हैं।
  10. त्यौहार के दिन पूजा समाप्त होने के बाद लोग अपने से बड़ों का पैर छू कर आशीर्वाद देते हैं।

दीपावली पर निबंध 20 लाइन

  1. श्रीराम के आयोध्य आने के खुशी में दीप जलाए थे।
  2. दिन्दूओं का दिवाली एक प्रमुख त्यौहार हैं।
  3. दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार हैं।
  4. दिवाली पर्व 5 दिनों तक मनाते हैं।
  5. बच्चे त्यौहार वाले दिन पटाखे जलाते हैं।
  6. “प्रकाश का त्यौहार” भी दीपावली त्यौहार को कहा जाता हैं।
  7. लाइट से घर को सजाया जाता हैं जो देखने में काफी सुंदर लगता हैं
  8. भगवान राम को अयोध्या वापस आने के खुशी में लोग दिए जला कर उनका स्वगात किए थे।
  9. दिपावली के दिन बाद भाई बीज का पर्व मनाते हैं।
  10. दीपावली के दिन हर घरों में दिए जलाए जाते हैं।
  11. माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा दिवाली में की जाती हैंष
  12. दिवाली आने से पहले हर व्यक्ति अपने घरों को साफ-सफाई करते हैं।
  13. दिवाली के दिन नई समाग्री खरीदना शुभ माना जाता हैं।
  14. बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता हैं।
  15. प्रतेक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या की रात को ही दीपावली का त्यौहार मनाते हैं।

उपसंहार (Conclusion)

दीपावली दिन अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर पूरे संसार को प्रकाशमय बनाने का पर्व के रूप में मनाया जाता हैं बच्चे पटाखे खरीद कर आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। दिवाली दिन माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी के पूजा होने के बाद अपने से बड़ो से आशिर्वाद लेते हैं

और त्यौहार वाले दिन ही एक दुसरे को बधाइंया देते हैं जिसके कारण लोगो में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई हैं। दिपावली का त्यौहार सांस्कृतिक एवं सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक के रूप में माना जाता हैं। हर किसी का यह कर्तव्य बनता हैं कि दिवली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करना चाहिए।

FAQ Essay on Diwali in Hindi (Diwali Par Nibandh)

दिवाली का प्राचीन नाम क्या हैं?

“तमसो मा ज्योतिर्गमय:” दिवाली को प्राचीनकाल में दीपोत्सव मतलब दीपों का उत्सव कहा जाता था।

दिवाली के बारे में क्या लिखे?

हमने इस लेख में पूरी विस्तार से बताए हैं कि आपको दिवाली के बारे में क्या लिखना चाहिए, इसे पढ़ कर दिवाली के बारे में लिखना सीख सकते हैं।

दिवाली की शुरूवात कब से हुई?

श्री राम 14 वर्ष के वनवास पूरा कर वापस आए थे तब दीप के दिए जलाए गए थे।

सुनील पासवान इस ब्लॉग के संस्थापक और कंटेंट लेखक हैं, मेरे बारे में अधिक जानने के लिए, About Us पेज पर जाएँ। धन्यवाद

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